नरेश अग्रवाल

हारता नहीं हूँ कभी मैं!

जब मैं एक फीट गड्ढा खोदता हूँँ
उसकी तनख्वाह से
परिवार का एक सदस्य पलता है
 
दो फीट खोदने पर दो
शाम होते-होते पॉंच फीट खोद डालता हूँँ
और बुरी तरह थककर
बाहर निकलता हूँँ
 

इस तरह अपने चार सदस्यों के अलावा
इस एक अतिरिक्त फीट की कमाई से
आपदा के लिए थोड़े पैसे बचा लेता हूँँ
जो मेरी जमा-पूंँजी है
 
मैं इसी तरह से
साल में तीन सौ फीट अतिरिक्त खुदाई करता हॅूं
अगर कोई आपदा नहीं हुई घर में तो
आने वाले दिनों में
जरूर खरीद पाऊॅंगा एक घर
पक्का और मजबूत
 
यह अतिरिक्त खुदाई ही है
साधन मुझे बचाने और मेरे सपने पूरे करने का
इसलिए बुरी तरह से थक जाने पर भी
इस गहराई से हारता नहीं हूँँ कभी!

-35, कागलनगर, सोनारी, जमशेदपुर 831 011
 

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