(1)
शोरूम यहाँ और वहाँ बॉर रहेगा
संस्थान रहेगा न सभागार रहेगा
आवास रहे टूट गुफा-खोह सरीखे
ये क्योंकि नगर साफ हवादार रहेगा
वो बात नहीं आज कि निर्दोष निडर हो
हर दण्ड उसे जो न खतावार रहेगा
कुछ लोग गिरफ्तार हुए धूम्र उड़ाते
कुछ रोज यही एक समाचार रहेगा
बरबाद करें देश गदर-लूट मचाकर
पड़ना न उन्हें फर्क जनाधार रहेगा
ऐसा न कहो यार कि बदलाव न होगा
घनघोर कलह-कष्ट लगातार रहेगा
वो चोर-उचक्के कि सरेआम टहलते
तू जान अगर तू न खबरदार रहेगा।
(2)
इक लक्ष्य दिखाकर न दिखा यार अभी तक
मैं राह रहा जोह लगातार अभी तक
हम रोज मिले रोज मिले और गले भी
अफसोस कि पैदा न हुआ प्यार अभी तक
अरमान बहुत और बहुत ख़्वाब हमारे
इक ने न लिया रूप व आकार अभी तक
छोटी न घड़ी एक, बड़ी रात अँधेरी
कोई न प्रकट चाँद न भिनसार अभी तक
जो देख लिया हुस्न गुनहगार हुआ मैं
ये और मजेदार गिरफ्तार अभी तक
संघर्ष किये खूब कि था राज बचाना
नृप ने न दिया एक पुरस्कार अभी तक
जो रोज नये खोज समाचार कभी दे
उसका न मिला एक समाचार अभी तक।
- केशव शरण, एस 2/564 सिकरौल, वाराणसी 221002 (मो. 9415295137)
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