तुम्हारे लिए
आज कई दशकों बाद लिखने के लिए
मैंने कलम उठाई है!
वैसे तो
कलम कभी छूटी ही नहीं थी
मेरे हाथ से!
पहले भी लिखती थी
बच्चों की कॉपियां
और क्लास के बोर्ड पर!
पर आज....
उठाई है कलम लिखने के लिए कुछ और!
दशकों पहले
लिखा करती थी
मन की भावनाओं को
कागज पर शब्दों का रूप देती!
आज फिर बरसों बाद दबी-सी...
एक आवाज आई!
‘तन्हाइयों से बाहर आ... और लिख!’
पहले भी लिखा करती थी तुम्हारे लिए...
आज फिर से उठाई है कलम
सिर्फ... तुम्हारे लिए
& ravi.tewary94311@hotmail.com
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