बुजुर्ग बूढ़े हो रहे हैं
दौड़ता समय-चक्र गति-से तोड़ता मन-मोह मति से
नेत्र नम हो ताकते-से, खुद को जैसे खो रहे हैं।
बुजुर्ग बूढ़े हो रहे हैं।
वक़्त उनको भी दो किंचित
जिनको जीवन देते आए, बाट उनकी जोह रहे हैं।
बुजुर्ग बूढ़े हो रहे हैं।
हाय! अपने अब न बाकी
तुमको जो गोदी खिलाए, स्मृति सब संजो रहे हैं।
बुजुर्ग बूढ़े हो रहे हैं।
झुर्रियों की अब पेशानी
उन चरण लौटो तथापि या कि बस दो पल रहे हैं।
बुजुर्ग बूढ़े हो रहे हैं।
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