कभी सुध नहीं ली उन्होंने
कभी सुध नहीं ली उन्होंने
नदियों की
पानी अभी तक पहुँच पाया है महासागरों में या नहीं
नहरें हैं अभी भी जल से लबालब या नहीं
कुएँ हरे-भरे हैं या नहीं
तालाबों की स्थिति क्या है
या आज पड़ोस में किसका ब्याह है
कभी सुध नहीं ली उन्होंने
अपने साथियों की
जो हाइवे के आसपास से उजड़ते गए
जब कभी जाने-पहचाने चेहरे
सामने से गुजरते गए
कभी सुध नहीं ली उन्होंने
किसी चिट्ठी की
जिस मिट्टी में पैदा हुए उस मिट्टी की
पेड़ पौधों हवा धूप बरसात की
बंद चूल्हों की
तवा की
दिन या किसी अँधेरी रात की
कभी सुध नहीं ली उन्होंने
शहर में बस जाने के बाद गाँव की
गाँव वालों की
दुख में घिरे अपने माता-पिता बहन भाई की
साफ-साफ कह दिया था-
नहीं रखना है रिश्ता तुम गँवारों से
जिस दिन छोटी बहन की सगाई थी
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